Top 10 Moral Stories in Hindi [हिंदी में शीर्ष 10 नैतिक कहानियाँ]

Top 10 Moral Stories in Hindi [हिंदी में शीर्ष 10 नैतिक कहानियाँ]


ON INSPIRED REVIEW में आपका स्वागत है। दोस्तों, आपके लिए Top 10 Moral Stories in Hindi सुनाने जा रहा हूं। आशा रखता हूँ की आपको बेहद पसंद आएगा। एक कहानी (Story) आपके बच्चों को Active रखने का एक शानदार तरीका है। शायद आपके बचपन की सबसे अच्छी यादों में से एक वह Stories हैं जो आपने बचपन में जरूर पढ़ी थीं।



आपके बचपन की अधिकांश कहानियाँ शायद नैतिक ( Morals )की कहानियाँ थीं। ये उस तरह की Stories नहीं हैं जो हम इन दिनों बहुत बार देखते हैं। क्या इन कहानियों को अपने बच्चे के साथ Share करना आश्चर्यजनक नहीं होगा? क्यों न हम इस सूची से शुरुआत करें जो हमने आपके लिए तैयार की है। इस पोस्ट में बच्चों के लिए हिंदी में 10 Best Moral Stories की सूची शामिल है और हम यह भी आशा करते हैं कि ये कहानियाँ आपके बच्चे को Moral Values को विकसित करने में क्यों मदद करती हैं। तो चलिए शुरू करते है आजका 10 नैतिक कहानियाँ हिंदी में।



(1).खरगोश और कछुआ (Rabbit and Tortoise) – Moral Based Stories in Hindi


बहुत समय पहले की बात है, एक खरगोश सभी जानवरों को इकट्ठा कर बोलता है, " में सभी से तेज़ दोड़ता हूं। मुझे दौड़ में कोई नहीं हरा सकता है। तभी एक कछुआ कहता है, " खरगोश भाई, अपने आप पर इतना घमंड सही नहीं है।" तभी खरगोश कहता है कि, " तुम मुझे कह रहे हों, तो होजाए एक रेस देखते हैं कोन कितना पानी में है।" यह सुनते ही सभी जानवर हंसने लगे यह कह कर की, कछुआ तो बहुत स्लो है यह कैसे जीतेगा। तभी कछुआ कहता है, " अब बात मेरी आत्मसमान की है, ये चुनौती में स्वीकार करता हूं।" रेस शुरू होती है, और हम देखते हैं कि, खरगोश, कछुए से बहुत आगे निकल गया है और कछुआ धीरे धीरे दौड़ रहा है। थोड़ी दूर जाकर खरगोश बैठ जाता है, और मन ही मन, मुस्कुराते हुए बोला, " अभी तो वो कछुआ बहुत पिछे है, वो यहां तक पहुंचेगा तब तक मैं थोड़ा आराम कर लेता हूं।" यह कह कर खरगोश सो गया, और लगातार दौड़ता हुआ वहां तक पहुंच गया और वह देखता है कि, खरगोश सो रहा है यही सही समय है मुझे अभी चलना चाहिए यह कह कर वो फिर से भागना शुरू करता है। और कछुआ वह रेस जीत जाता है। खरगोश और बाकी सभी जानवरों की बोलती बंद हो जाती और कछुए की लिए तालिया बजती है।



कहानी का नैतिक है: कभी भी अपने आप पर इतना घमंड भी मत करो की बाद में हमे ही शर्मिंदा होना पड़े। जिस तरह खरगोश हुआ।, जब बात अपने आत्मसमान की हो तो कभी हार मत मानो और अपने लक्ष्य की ओर धीरे धीरे और निरंतर बढ़ें और उसे हासिल करें। आप कभी नहीं हारेंगे। जिस तरह कछुआ हार नहीं मानी।


(2).जीवन की सबसे बड़ी सीख(Biggest lesson in life)– Moral Based Stories in Hindi

गुरुकुल में गुरु अपने शिष्यों को पढ़ा रहे थे तभी एक शिष्य गुरु जी आकर बोलता है, " गुरु जी, आप मुझे जीवन के बारे में समझाइए आखिर ये जीवन है क्या ?" तभी गुरु जी कहते हैं, " पुत्र, ये जीवन भगवान की देन है। इसे समझ पाना कठिन है लेकिन जो जीवन को समझ जाता है वो व्यक्ति इस संसार के सारे दुखों से मुक्त हो जाता है। जीवन न भविष्य में है नहीं अतीत में जीवन तो सिर्फ इस क्षण में है जो पल तुम अभी जी रहे हों उसका अनुभव ही जीवन है। चलो मेरे साथ तुम्हे जीवन के कुछ तथ्यों से रूबरू करता हूं। गुरु जी सभी शिष्यों को जंगल में ले जाकर उनसे कहते देखों, "उस बहती हुई नदी को कैसे वह निरंतर बह रही है उसी तरह हमे निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। और वह देखों उस पेड़ की सारी पत्तिया जड़ चुकी है लेकिन कुछ महीने बाद यह पेड़ फिर से नई पत्तियों से खिल उठेगा यही प्रकृति का नियम है जन्म लेना सत्य है तो मृत्यु भी एक सत्य है यही जीवन है। हर पल को बड़े आनंद जियो । यही जीवन की परिभाषा है।

संधि किसे कहते हैं? संधि की परिभाषा, संधि के भेद (स्वरूप), संधि हिंदी व्याकरण में (What is treaty? Definition of Treaty, Differences of Treaty )

Hello दोस्तों आज हम जानेंगे संधि किसे कहते, और संधि के भेद और उदाहरण इत्यादि बताएंगे कृपा कर बने रहे इस लेख पर

    संधि किसे कहते हैं? संधि की परिभाषा, संधि के भेद (स्वरूप)


    संधि किसे कहते हैं? 

    दो वर्णों के शब्दों के मेल से बने शब्दों को संधि कहते है तथा हम यह कह सकते है कि दो शब्दों से मिलकर एक नए शब्द की उत्पति होना संधि कहलाता हैं। संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मिलकर नए शब्द का निर्माण होता है।
    जैसे:- विद्या(की ध्वनि) +आलय( की ध्वनि) = विद्यालय 
              विद्या(की ध्वनि)+अर्थी( की ध्वनि)= विद्यार्थी

    इस प्रकार विद्यार्थी में प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण द्या (जिसमे की ध्वनि प्रतीत हो रही है ) जबकि दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मेंकी ध्वनि प्रतीत हो रही है। तो इस प्रकार दोनों मिलकर एक नया शब्द का निर्माण करते है जो विद्यार्थी है। नए शब्द के वर्णों को वापस अपने मूल अवस्था में लेकर आना ही संधि विच्छेद कहलाता है। (अर्थात किसी शब्द को अलग-अलग भागों में बांटना या लिखना संधि विच्छेद कहलाता है)
    जैसे:- विद्यालय = विद्या+आलय (संधि विच्छेद)
              विद्यार्थी  =विद्या +अर्थी (संधि विच्छेद)

    संधि के भेद

    (1). स्वर संधि
    (2). व्यंजन संधि
    (3). विसर्ग संधि

    (1). स्वर संधि

    यदि किसी वर्ण में स्वर के बाद स्वर की ध्वनि आती हो तथा उनके मेल से बने नए शब्दों को स्वर संधि कहते है। हम आपको बता दे की ग्यारह स्वर के वर्ण : इत्यादि है तथा को अर्धस्वर कहा जाता है।
    जैसे:- नर+इंद्र = नरेंद्र (स्वर संधि)
              देव+ऋषि =देवर्षि (स्वर संधि)

    स्वर संधि के पांच भेद होते हैं 

    (1). दीर्घ संधि
    (2). गुण संधि
    (3). वृद्धि संधि
    (4). यण संधि
    (5). अयादि संधि

    (1). दीर्घ संधि

    दीर्घ संधि नाम से ही पता चल गया होगा  की दीर्घ का मतलब भी ज्यादा, बड़ा या लंबे अंतराल वाले शब्दों के वर्ण को दीर्घ संधि कहते है तथा किसी शब्द वर्ण में , , स्वर आए तो दोनों को मिलाकर दीर्घ , , हो जाता है। दीर्घ संधि के नियमानुसार शब्द-

    (अ + अ = आ)
    स्व (में अंतिम वर्ण में  की ध्वनि) + अर्थी (में प्रथम वर्ण  है) = स्वार्थी 

    (अ + आ = आ)
    देव (में अंतिम वर्ण मेंकी ध्वनि) + आलय (में प्रथम वर्ण है) = देवालय 

    (इ + इ = ई)
    अति (में अंतिम वर्ण में इ की ध्वनि) + इव (में प्रथम वर्ण है) = अतीव 

    (ई + इ = ई)
    मही (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि)  + इंद्र (में प्रथम वर्ण है)  = महींद्र

    इ + ई = ई)
    हरि (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + ईश (में प्रथम वर्ण है)  = हरीश 

    (ई + ई = ई )
    नारी (में अंतिम वर्ण में  की ध्वनि) + ईश्वर (में प्रथम वर्ण है) = नारीश्वर

    (उ + उ = ऊ)
    लघु  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + उत्तर  (में प्रथम वर्ण है) = लघूउत्तर

    (उ + ऊ = ऊ)
    साधु  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + ऊर्जा (में प्रथम वर्ण  है)  = साधूर्जा

    (ऊ + उ = ऊ)
    वधू (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + उत्सव (में प्रथम वर्ण उ है) = वधूत्सव

    (ऊ + ऊ = ऊ )
    भू (में अंतिम वर्ण में ऊ की ध्वनि) + ऊष्मा (में प्रथम वर्ण ऊ है) = भूष्मा

    (2). गुण संधि

     जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो इनका मेल करने पर 'ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो इनका मेल करने पर 'ओ' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो इनका मेल करने पर 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
    जैसे:-
    (अ + इ = ए )
    नर  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + इंद्र (में प्रथम वर्ण है)  = नरेंद्र

    (अ + ई = ए)
    परम (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि)  + ईश्वर (में प्रथम वर्ण ई है)  = परमेश्वर 

    (आ + इ = ए)
     उमा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि) +इंद्र (में प्रथम वर्णहै)  = उमेंद्र

    (आ + ई = ए )
    राका (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि)  + ईश (में प्रथम वर्ण ई है)  = राकेश

    (अ + उ = ओ)
    पर (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि) + उपकार (में प्रथम वर्ण उ है) = परोपकार

    (अ + ऊ = ओ )
    नव (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि) + ऊढा (में प्रथम वर्ण ऊ है)  = नवोढ़

    (आ + उ = ओ )
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + उत्सव (में प्रथम वर्ण उ है)  = महोत्सव 

    (आ + ऊ = ओ)
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + धमा (में प्रथम वर्ण ऊ है) = महोष्मा

    ( अ + ऋ = अर् )
    देव (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि)  + ऋषि (में प्रथम वर्ण ऋ है)  = देवर्षि

    (आ + ऋ = अर् )
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + ऋषि (में प्रथम वर्ण ऋ है)  = महर्षि

    (3). वृद्धि संधि

    जब स्वर 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' आए तो बड़ा 'ऐ' हो जाएगा। और यदि 'अ' और 'आ' के सामने 'ओ' या 'औ' आए तो 'औ' हो जाता है। या हम यह कह सकते है वर्ण मात्राओ की बड़ोत्री हो वह वृद्धि संधि कहलाती है ।
    जैसे:-
    (अ + ए = ऐ)
    + व = अधैव 

    (अ + ऐ = ऐ)
    +क्य = मतैक्य

    (आ + ऐ = ऐ)
    दा + व = सदैव

    (अ + ओ = औ )
    ष्ण + दन = उष्णोदन 

    (अ + औ = औ)
    + षधि = वनौषधि

    (आ + औ = औ) 
    हा + षध = महौषध

    (4). यण संधि

    यदि किसी शब्द के अंतिम वर्ण में (इ, ई), (उ, ऊ) और के बाद अलग-अलग स्वर आए तो 'इ' और 'ई' का 'य' हो जाता है। और 'उ' और 'ऊ' का 'व' हो जाता है। तथा इसके अतिरिक्त का 'र्' हो जाता है। 
    जैसे:-
    (इ + अ = य)
    दि + पि = तथापि

    (इ + आ = या )
    ति + दि = इत्यादि

    (इ + उ = यु )
    उपरी + पूर्वेत्तर = अनुमान

    (उ + अ = व)
    सु + च्छ = स्वच्छ

    (उ + आ = वा )
    सु + गत = स्वागत

    (उ + इ = वि )
    नु + ति = अन्विति

    (ऋ + अ = र)
    पितृ +नुमति = पितृनमति

    (ऋ + आ = रा)
    मातृ + ज्ञा = मात्राज्ञा

    (5). अयादि संधि

    जब किसी शब्द में स्वर का मेल स्वर से होता हो वह अयादि संधि कहलाती है तथा 'ए' का 'अय' और '' का 'आय' और 'ओ' का 'अव' , 'औ' का 'अव' हो जाता है।
    जैसे:-
    (ए + अ = आय)
    ने + न = नयन

    (ऐ + अ = आय)
    नै + क = नायक

    (ओ + अ = अव )
    भो +न = भवन

    (औ + अ = आव)
    भौ +न = भावना

    (2). व्यंजन संधि

    जब किसी व्यंजन का व्यंजन से या स्वर से मेल होता हो तो वह व्यंजन संधि कहलाती है। उदाहरण 
    जैसे:-
    दिक् + अम्बर = दिगम्बर
    अभी + सेक = अभिषेक
    दिक् + गज = दिग्गज
    जगत + ईश = जगदीश

    (3). विसर्ग संधि

    विसर्ग (:) के साथ जब किसी व्यंजन या स्वर का मेल होता हो वह विसर्ग संधि कहलाती है। उदाहरण
    जैसे:-
    अंतः + करण : अन्तकरण
    अंतः + गत : अंतर्गत
    अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान
    अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय

    I hope की यह लेख से आप सभी को यह पता चल गया होगा कि संधि किसी कहते है।



















    कारक किसे कहते हैं? कारक की परिभाषा, भेद, चिह्न और उदाहरण हिन्दी में नोट्स- Karak Kise Kahate Hain? Karak Ki Paribhasha, Bhed, Chinh Aur Udaharan(What are the factors? Definition, distinction, symbol and example of factor notes in hindi )

    Hello दोस्तों आज हम आपको कारक किसे कहते हैं, कारक के भेद, परिभाषा, और उदाहरण इत्यादि बताएंगे। आप सिर्फ बने रहे इस लेख पर।

      कारक किसे कहते हैं? कारक की परिभाषा, भेद, चिह्न और उदाहरण ।


      कारक किसे कहते हैं?

      जो शब्द वाक्यों में संज्ञासर्वनाम शब्दों का आपस में सम्बंध स्थापित करता हो या दर्शाता हो तथा जो सम्बंध को दर्शाता वह कारक कहलाता हैं।
      जैसे:- श्याम ने पढ़ाई पूरी कर दी है।(कारक चिन्ह है।)

      कारक के भेद 

      (3). करण कारक
      (4). संप्रदान कारक
      (5). अपादान कारक 
      (6). सम्बंध कारक
      (7). अधिकरण कारक
      (8). संबोधन कारक

      (1). कर्ता कारक

      जिस वाक्य में क्रिया करने वाले का बोध होता हो उसे कर्ता कारक कहते हैं तथा कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ' ने ' है।
      जैसे:- राम ने खाना खाया। [राम(कर्ता),' ने 'कर्ता कारक]

      (2). कर्म कारक

      जिन वाक्यों में जो शब्द क्रिया को प्रभावित करता है वह कर्म कारक कहलाता है तथा कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह ' को ' है।
      जैसे:- राम को फल अच्छे लगते हैं।(कर्म कारक)

      (3). करण कारक

      जिन वाक्यों में किसी साधन से कर्ता अपना कर्म पूरा करने का बोध होता हो उसे करण कारक कहते हैं तथा करण कारक का विभक्ति चिन्ह ' से ' और ' के द्वारा ' है।
      जैसे:- आप मेरा लेख मोबाइल के द्वारा पढ़ रहे हो।(करण कारक)
                किताब से ज्ञान प्राप्त होता है ।(करण कारक)

      (4). संप्रदान कारक

      जिस वाक्य में संज्ञा और सर्वनाम शब्दों में क्रिया को पूर्ण रूप से संपन्न किया जाए वह संप्रदान कारक कहलाता है तथा संप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह ' को ' और ' के लिए ' है।
      जैसे:- राम को फल देदो।(संप्रदान कारक)
                श्याम के लिए राम पुस्तक लेकर आया है।(संप्रदान कारक)

      (5). अपादान कारक 

      जिन वाक्यों में अलग होने का बोध होता हो या तुलनात्मक रूप दिखाई दे वह अपादान कारक कहलाता है तथा अपादान कारक का विभक्ति चिन्ह (से ) होता है।
      जैसे:- राम से श्याम पढ़ाई में बेहतर है।(अपादान कारक) 

      (6). सम्बंध कारक

      जो शब्द संज्ञासर्वनाम शब्दों के आपस के सम्बंध को दर्शाता है वह सम्बंध कारक कहलाता हैं तथा सम्बंध कारक का विभक्ति चिन्ह (का, की, के, ना, नी, ने, रा, री, रे) होता है। 
      जैसे:- यह राम की पुस्तक है ।(सम्बंध कारक)

      (7). अधिकरण कारक

      जिन वाक्यों में संज्ञासर्वनाम शब्दों में क्रिया को सूचित किया जाए वह अधिकरण कारक कहलाता है तथा अधिकरण कारक का विभक्ति चिन्ह (में,पर) होता है।
      जैसे:- किताब बस्ते में रखी है।(अधिकरण कारक)
                टेबल पर सेब रखा हुआ है।(अधिकरण कारक)

      (8). संबोधन कारक

      जिन वाक्यों में संज्ञासर्वनाम शब्दों में किसी को संबोधित या बुलाया जाए वह संबोधन कारक कहलाता है तथा संबोधन कारक का विभक्ति चिन्ह (अरे!, ओ! है!) होता है।
      जैसे:- अरे! ये क्या हो गया है।(संबोधन कारक)

      विशेषण किसे कहते हैं – परिभाषा एवं भेद-Visheshan Kise Kahate Hai (What are adjectives – definition and distinction)

      Hello दोस्तों आज हम विशेषण किसी कहते है जानेंगे तथा भेद और उदाहरण भी कृपया कर बने रहे इस लेख पर

        विशेषण किसी कहते हैं?

        जो शब्द वाक्यों में संज्ञा सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताता हो उसे विशेषण कहते हैं।

        अब आप को यह तो पता चल गया कि विशेषण किसी कहते हैं, अब हम विशेषण के भेद के बारे मैं जानेंगे।

        विशेषण के भेद 

        (1). संख्यावाचक विशेषण
        (2). परिमाणवाचक विशेषण
        (3). गुणवाचक विशेषण
        (4). सार्वनामिक विशेषण

        (1). संख्यावाचक विशेषण

        जिन वाक्यों में संज्ञा को संख्या के रूप में लिखा जाए चाहे वह निश्चित हो या अनिश्चित संख्या वह संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
        जैसे:- दो, दूसरा, पहला,आधा,बहुत,कुछ, सैकडो, पाव इत्यादि।

        दो लड़के आ रहे है। (निश्चित संख्या) 
        कुछ लड़के आ रहे है। (अनिश्चित संख्या)

        (2). परिमाणवाचक विशेषण

        जिन वाक्यों में संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित या अनिश्चित मात्रा, परिमाण,या माप, तौल इत्यादि का बोध होता हो वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता हैं। 
        जैसे:- एक लीटर, एक किलो, एक मीटर, थोड़ा इत्यादि। 
                  एक लीटर दूध देना।(निश्चित )
                  थोड़ा दूध देना ।      (अनिश्चित)

        (3). गुणवाचक विशेषण

        जिन वाक्यों में संज्ञा या सर्वनाम शब्दों में गुण, दोष, स्वभाव, रंग, रूप, दशा आदि का बोध होता हो उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
        जैसे:- काला घोड़ा, अच्छे लोग, गंदा कपड़ा, सुंदर मूर्ति, ईमानदारी इत्यादि।
                  राम अच्छा लड़का है।
                  श्याम ईमानदार अफसर है।

        (4). सार्वनामिक विशेषण

        सर्वनाम शब्द होते हुए विशेषण के स्थान पर संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता हो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाते है तथा सार्वनामिक विशेषण को संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं।
        जैसे:- कोई लड़का हँस रहा है, कोई लड़की गा रही है आदि।
                  कोई हँस रहा है।(अनिश्चितवाचक सर्वनाम )
                  कोई लड़का हँस रहा है।(सार्वनामिक विशेषण)
                   



        क्रिया किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण kriya kise kahte hai (What is verb - definition, distinction and example)

        Hello दोस्तों आज आप हमारे इस लेख पर जानेंगे कि क्रिया किसे कहते है और हम उन्हें कैसे पहचानें उदाहरण सहित कृपया कर बने रहे इस पेज पर...

          क्रिया किसे कहते हैं ? (What is verb )

          जिस वाक्य में कोई काम को करना या होना आदि बातों का बोध होता हो वह क्रिया कहलाती है।या फिर हम यह कह सकते है क्रिया का अर्थ काम से है और जिसके द्वारा कोई काम किया जाता है वह कर्ता कहलाता हैं।


          अब आप पता चल गया होगा कि क्रिया किसे कहते है। अब क्रिया के भेद के बारे जानते है।

          क्रिया के भेद 

          क्रिया कर्म और रचना के आधार पर क्रिया के भेद अलग-अलग होते है।

          कर्म के आधार पर क्रिया के भेद 

          कर्म के आधार पर क्रिया दो प्रकार की होती है।
          1. सकर्मक क्रिया।
          2.अकर्मक क्रिया।


          1.सकर्मक क्रिया (Transitive verb )

          जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर ना पड़कर सीधा उसके कर्म पर पड़ता है तथा उनसे (क्या और किसको) यह प्रश्न सरलता से पूछा जा सके वह सकर्मक क्रिया कहलाती है ।

          उदाहरण:- काटना, पड़ना,लिखना,खाना,पकाना इत्यादि सकर्मक क्रिया है।
          लिखना = राम लिखता है। = राम क्या लिखता है?
          पड़ना। =  राम किताब को पड़ता है= राम किसको पड़ता है?

          सकर्मक क्रिया के भी दो भेद होते हैं।

          1.एककर्मक क्रिया।
          2.द्विकर्मक क्रिया।

          1.एककर्मक क्रिया ( Monotransitive )

          एककर्मक क्रिया में एक ही कर्म का बोध होता है तथा इसमें क्या प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता होती है यानी एक ही पश्न का उत्तर देना पड़ता है।
          जैसे - राम किताब पढ़ता है।= राम क्या पढ़ता है?

          2.द्विकर्मक क्रिया ( Ditransitive )

          द्विकर्मक क्रिया में एक बारी में दो कर्म होते है तथा इसमें क्या और किसको ये प्रश्नो के उत्तर देने की आवश्यकता पड़ती है यानी एक ही बारी मे दो प्रश्नों का उत्तर एक साथ देना पड़ता है।
          जैसे - राम ने किशोर को खाना दिया। = राम ने किसको क्या दिया?

          कर्म के आधार पर क्रिया के भेद को जान लिया है अब रचना के आधार पर क्रिया को समझने की कोशिश करते हैं।

          रचना के आधार पर क्रिया के पांच भेद होते है।

          1. प्रेरणार्थक क्रिया
          2. नामधातु क्रिया
          3. सयुक्त क्रिया
          4. सामान्य क्रिया
          5. पूर्वकालीन क्रिया

          1.प्रेणार्थक क्रिया

          एसी क्रिया जिसमे कर्ता खुद काम ना कर किसी दूसरे से काम कराने का बोध होता हो उसे प्रेणार्थक क्रिया कहते हैं।
          जैसे:- राम, श्याम से लकड़ी कटवा रहा है।
          कटवाना= प्रेणार्थक क्रिया है।

          2.नामधातु क्रिया

          एसी क्रियाएं जिन वाक्यों में संज्ञा या सर्वनाम से बनी= क्रिया का प्रयोग होता हो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।
          जैसे:- राम उसे अपना समझता है।
                    अपना = सर्वनाम से बनी क्रिया है।

          3.सयुक्त क्रिया 

          एसी क्रिया जो दो क्रियाओं का आपस में मिलकर एक वाक्य का निर्माण हो वह सयुक्त क्रिया कहलाती है तथा वाक्य में प्रथम क्रिया को मुख्य क्रिया कहते हैं और दूसरे को रंजक क्रिया कहते है।
          जैसे:- वे तुम्हें यहां छोड़कर चले गए
                    चले (चलना) = मुख्य क्रिया 
                     गए (जाना)= रंजक क्रिया

          4.सामान्य क्रिया

          जिन वाक्यों में सिर्फ एक सामान्य क्रिया का प्रयोग किया जाए वह सामान्य क्रिया कहलाती है।
          जैसे:- तुम पढ़ो, राम चलो इत्यादि सामान्य क्रिया है 

          5. पूर्वकालीन क्रिया

          जिन वाक्यों में पहली क्रिया या काम पूरा कर लेता है और दूसरी क्रिया या काम का बोध होता हो तथा पहले किए काम या क्रिया को पूर्णकालीन क्रिया कहते हैं।
          जैसे:- राम ने हाथ धो कर खाना खाया।
                    धो कर (धोना)= प्रथम क्रिया(पूर्वकालीन क्रिया)
                               खाना = दूसरी क्रिया 




                         


          संज्ञा किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, भेद, एवं उदाहरण (What is noun? Definition, Types, Differences, and Examples.)

          संज्ञा किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, भेद, एवं उदाहरण  (What is noun? Definition, Types, Differences, and Examples.)

          hello दोस्तों कैसे हो आप सब। आज हम बताएंगे कि संज्ञा किसे कहते है, और यह कितने प्रकार की होती है उदाहरण के साथ समझाएंगे आप सिर्फ बने रहे इस पेज पर।

            संज्ञा किसे कहते हैं?

            ऐसा शब्द जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, या भाव के नाम का बोध होता हो वह संज्ञा कहलाती है| जैसे- कुर्सी, मोहन, जयपुर, भलाई।

            कुर्सी          - वस्तु से है।
            मोहन         - व्यक्ति से है।
            जयपुर        - स्थान से है।
            भलाई         - भाव से है।

            अब आप को यह तो पता चल ही गया होगा कि संज्ञा किसे कहते हैं? अब हम जानेंगे संज्ञा के विभिन्न प्रकार ।

            संज्ञा के विभिन्न प्रकार :

            (1).व्यक्तिवाचक संज्ञा(Proper Noun)
            (2).जातिवाचक संज्ञा(Common Noun)
            (3).भाववाचक संज्ञा(Abstract Noun)
            (4).समूहवाचक संज्ञा(Collective Noun)
            (5).द्रव्यवाचक संज्ञा(Material Noun)

            (1). व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)


            व्यक्तिवाचक संज्ञा जो केवल  किसी व्यक्ति विशेष या फिर, स्थान या वस्तु को संदर्भित करता है और इसके लिए कोई सामान्य नाम नहीं है। अंग्रेजी में व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun), को हमेशा बड़े अक्षरों (Capital letters) में लिखा जाता है ।

            उदाहरण: मेलबर्न (यह केवल एक विशेष शहर को संदर्भित करता है), स्टीव (किसी विशेष व्यक्ति को संदर्भित करता है), ऑस्ट्रेलिया (ऑस्ट्रेलिया नाम का कोई अन्य देश नहीं है; यह नाम केवल एक देश के लिए निर्धारित है)।

            (2).जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)


            जिन संज्ञाओं से किसी जाती के अंतर्गत आनेवाले सभी व्यक्तियों, वस्तुओं, स्थानों के नामों का बोध होता है, जातिवाचक संज्ञाएं कहलाती हैं|

            जैसे –

            गाय : गाय कहने से पहाड़ी, हरयाणवी, जर्सी, देशी, विदेशी, फ्रोजेन, आदि, इन सभी प्रकार की गायों का बोध होता है; क्योंकि गाय जानवरों की एक जाति है|

            नदी : इसके अंतर्गत सभी नदियां आएँगी – गंगा, यमुना, सरयू, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, आदि|

            (3).भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)


            जिन संज्ञाओं से पदार्थों या व्यक्तियों के धर्म, गुण, दोष, आकार, अवस्था, व्यापार या चेष्टा आदि भाव जाने जाएं, वे भाववाचक संज्ञाएं होती हैं| भाववाचक संज्ञाएं अनुभवजन्य होती हैं, ये अस्पर्शी होती है।

            जैसे –

            क्रोध, घृणा, प्रेम, अच्छाई, बुराई, बीमारी, लम्बाई, बुढ़ापा, आदि|

            उपर्युक्त उदाहरणों में से आप किसी को छू नहीं सकते
             सिर्फ अनुभव ही कर सकते हैं|

            (4).सामूहिक संज्ञा (Collective Noun)


            सामूहिक संज्ञा एक ऐसी संज्ञा है जो औपचारिक रूप में एकवचन प्रतीत होती है लेकिन व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह को दर्शाती है। सेना, झुंड और झुंड शब्द सामूहिक संज्ञा के उदाहरण हैं।

            ये सभी संज्ञाएं एकवचन संज्ञा हैं लेकिन ये लोगों या चीजों के समूह को संदर्भित करती हैं। ज्यादातर मामलों में, सामूहिक संज्ञाएं एकवचन क्रियाओं का उपयोग करती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सामूहिक संज्ञाएं कई लोगों या चीजों के समूह को एक इकाई या इकाई के रूप में संदर्भित करती हैं।

            जैसे –

            गायों का झुंड, बिल्ली के बच्चे का झुंड, शेरों का झुंड, मछली का एक स्कूल, लकड़बग्घे का एक झुंड|

            (5).द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)


            जिन संज्ञाओं से ठोस, तरल, पदार्थ, धातु, अधातु, आदि का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं| द्रव्यवाचक संज्ञाएं ढेर के रूप में मापी या तोली जाती है| ये अगणनीय हैं|

            जैसे –

            लोहा, चांदी, सोना, तेल, घी, डालडा, आदि|


            उम्मीद करता हूं आप को संज्ञा किसे कहते हैं?, ये पता चल ही गया होगा। यह पेज को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद......




            सर्वनाम किसे कहते हैं (परिभाषा, भेद और उदाहरण) | Sarvnaam Kise Kahate Hain(What is Pronoun, Definition, Distinction and Examples.

            Hello दोस्तों स्वागत है आपका इस नये लेख सर्वनाम किसे कहते हैं?  इस लेख में आप सर्वनाम किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, भेद तथा उदाहरण के बारे में आप सभी को विस्तार से बताया जायेगा। सर्वनाम को जानने से पहले आप सभी संज्ञा के बारे में तो अच्छे से जानकारी प्राप्त कर ले। क्योकि संज्ञा को समझे बिना आप सर्वनाम को नहीं समझ पाएंगे।

            सर्वनाम किसे कहते हैं (परिभाषा, भेद और उदाहरण) | Sarvnaam Kise Kahate Hain(What is Pronoun, Definition, Distinction and Examples.


            सर्वनाम: संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द का शाब्दिक अर्थ है सर्व+नाम अर्थात् सबके लिए नाम। जैसे: मैं, तुम, वह, हम आप, यह, जो, कोई, कुछ, तुम्हारा, मेरा, उसका, जिसका आदि सर्वनाम शब्द है, इनके बिना वाक्य अधूरा होता है या कोई अर्थ नहीं होता है 

            जब किसी वाक्य में एक ही व्यक्ति, वस्तु, या स्थान के बारे में बार बार जिक्र किया जाता हैं। तो वाक्य को  और बेहतर बनाने के लिए सर्वनाम शब्द का प्रयोग किया जाता हैं।

            उदाहरण: मोहन को तुम्हारा गाना पसंद आया।
                          मोहन : संज्ञा (किसकी व्यक्ति विशेष का नाम)
                         तुम्हारा: सर्वनाम शब्द (जो किसी  नाम(संज्ञा)के स्थान पर प्रयोग ने लिया गया है)

            सर्वनाम के छह प्रकार होते हैं:


            1.पुरुषवाचक सर्वनाम
            2.निश्चयवाचक सर्वनाम
            3.अनिश्चयवाचक सर्वनाम
            4.संबंधवाचक सर्वनाम
            5.प्रश्नवाचक सर्वनाम
            6.निजवाचक सर्वनाम

            1.पुरुषवाचक सर्वनाम

            पुरुषवाचक सर्वनाम : वे सर्वनाम जिनका प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले तथा किसी अन्य के लिए प्रयोग किया जाता हो ऐसे सर्वनाम को को पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। मैं, हम तुम, आप, वह, वे आदि। पुरुषवाचक सर्वनाम को अंग्रेजी में Personal Pronoun कहते हैं।

            उदाहरण: मैं घर जा रहा हूँ।
            हम कल घूमने जाएँगे।

            पुरुषवाचक सर्वनाम के  निम्नलिखित तीन भेद होते हैं:

            1.उत्तम पुरुष
            2.मध्यम पुरुष
            3.अन्य पुरुष

            1.उत्तमपुरुष: जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला स्वयं के लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते हैं। मैं, हम, मेरा, हमारा, मैंने, हमको, मुझे, मुझसे आदि।

            उदाहरण: मैं आइसक्रीम खा रहा हूँ।
            मेरा नाम तान्या है।

            2.मध्यम पुरुष: जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग सुनने वालों के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुष कहते हैं।
            आप, तुम, तू, तुम्हें, तुझे, तुमने, आपने, तुमको आदि।

            उदाहरण: तुम मसूरी से कब लौटे? 
            आप कल हमारे घर आइए।

            3.अन्य पुरुष: जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले या सुनने वाले के लिए न होकर किसी अन्य के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे: वह, उसे, उन्हें, उसने, उन्होंने, उसको, उनको आदि।

            उदाहरण: वह बहुत अच्छा गेंदबाज हैं।
            वह लड़के आपस में लड़ रहे थे।

            2.निश्चयवाचक सर्वनाम 


            निश्चयवाचक सर्वनाम : जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु या स्थान की ओर संकेत का बोध करता हो, उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम को अंग्रेजी में Demonstrative Pronoun भी कहते हैं। जैसे: यह, वह, ये, वे आदि।

            उदाहरण: सामने जो घर दिखाई दे रहा है, वह मेरा है।
            यह मेरी पुस्तक है। 

            3.अनिश्चयवाचक सर्वनाम


            अनिश्चयवाचक सर्वनाम : जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध न हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे: कोई, कुछ, किसी, किन्हीं आदि।

            उदाहरण: दाल में कुछ काला है।
            वहां से कोई आ रहा है।

            4.सम्बन्धवाचक सर्वनाम 


            संबंधवाचक सर्वनाम : जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध बताने के लिए किया जाता हो, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। सम्बन्धवाचक सर्वनाम को अंग्रेजी में Relative Pronoun कहते हैं जैसे: जोसौ, जैसावैसा, जिसकाउसका, जहाँजहाँ, जितनाउतना आदि।

            उदाहरण: जैसा देश वैसा भेष।
            जो डर गया सो मर गया।

            5.प्रश्नवाचक सर्वनाम


            प्रश्नवाचक सर्वनाम : जिन सर्वनामों का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे: कौन, क्या, कहाँ, किसने, कैसा, कितना, किसका किसे आदि।

            उदाहरण: वह क्या लिख रहा है?
            तुम किस देश में रहते हो?

            6.निजवाचक सर्वनाम 


            निजवाचक सर्वनाम : ऐसे सर्वनाम शब्द जो निजत्व अर्थात् अपनेपन का बोध कराते हो उन सर्वनाम शब्दों को, निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे: आप, अपने आप, स्वयं, खुद, स्वत:, आप ही आप आदि

            उदाहरण: हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए।
            बच्चा अपने आप दुकान पर चला गया।

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