संधि किसे कहते हैं? संधि की परिभाषा, संधि के भेद (स्वरूप), संधि हिंदी व्याकरण में (What is treaty? Definition of Treaty, Differences of Treaty )

Hello दोस्तों आज हम जानेंगे संधि किसे कहते, और संधि के भेद और उदाहरण इत्यादि बताएंगे कृपा कर बने रहे इस लेख पर

    संधि किसे कहते हैं? संधि की परिभाषा, संधि के भेद (स्वरूप)


    संधि किसे कहते हैं? 

    दो वर्णों के शब्दों के मेल से बने शब्दों को संधि कहते है तथा हम यह कह सकते है कि दो शब्दों से मिलकर एक नए शब्द की उत्पति होना संधि कहलाता हैं। संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मिलकर नए शब्द का निर्माण होता है।
    जैसे:- विद्या(की ध्वनि) +आलय( की ध्वनि) = विद्यालय 
              विद्या(की ध्वनि)+अर्थी( की ध्वनि)= विद्यार्थी

    इस प्रकार विद्यार्थी में प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण द्या (जिसमे की ध्वनि प्रतीत हो रही है ) जबकि दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मेंकी ध्वनि प्रतीत हो रही है। तो इस प्रकार दोनों मिलकर एक नया शब्द का निर्माण करते है जो विद्यार्थी है। नए शब्द के वर्णों को वापस अपने मूल अवस्था में लेकर आना ही संधि विच्छेद कहलाता है। (अर्थात किसी शब्द को अलग-अलग भागों में बांटना या लिखना संधि विच्छेद कहलाता है)
    जैसे:- विद्यालय = विद्या+आलय (संधि विच्छेद)
              विद्यार्थी  =विद्या +अर्थी (संधि विच्छेद)

    संधि के भेद

    (1). स्वर संधि
    (2). व्यंजन संधि
    (3). विसर्ग संधि

    (1). स्वर संधि

    यदि किसी वर्ण में स्वर के बाद स्वर की ध्वनि आती हो तथा उनके मेल से बने नए शब्दों को स्वर संधि कहते है। हम आपको बता दे की ग्यारह स्वर के वर्ण : इत्यादि है तथा को अर्धस्वर कहा जाता है।
    जैसे:- नर+इंद्र = नरेंद्र (स्वर संधि)
              देव+ऋषि =देवर्षि (स्वर संधि)

    स्वर संधि के पांच भेद होते हैं 

    (1). दीर्घ संधि
    (2). गुण संधि
    (3). वृद्धि संधि
    (4). यण संधि
    (5). अयादि संधि

    (1). दीर्घ संधि

    दीर्घ संधि नाम से ही पता चल गया होगा  की दीर्घ का मतलब भी ज्यादा, बड़ा या लंबे अंतराल वाले शब्दों के वर्ण को दीर्घ संधि कहते है तथा किसी शब्द वर्ण में , , स्वर आए तो दोनों को मिलाकर दीर्घ , , हो जाता है। दीर्घ संधि के नियमानुसार शब्द-

    (अ + अ = आ)
    स्व (में अंतिम वर्ण में  की ध्वनि) + अर्थी (में प्रथम वर्ण  है) = स्वार्थी 

    (अ + आ = आ)
    देव (में अंतिम वर्ण मेंकी ध्वनि) + आलय (में प्रथम वर्ण है) = देवालय 

    (इ + इ = ई)
    अति (में अंतिम वर्ण में इ की ध्वनि) + इव (में प्रथम वर्ण है) = अतीव 

    (ई + इ = ई)
    मही (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि)  + इंद्र (में प्रथम वर्ण है)  = महींद्र

    इ + ई = ई)
    हरि (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + ईश (में प्रथम वर्ण है)  = हरीश 

    (ई + ई = ई )
    नारी (में अंतिम वर्ण में  की ध्वनि) + ईश्वर (में प्रथम वर्ण है) = नारीश्वर

    (उ + उ = ऊ)
    लघु  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + उत्तर  (में प्रथम वर्ण है) = लघूउत्तर

    (उ + ऊ = ऊ)
    साधु  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + ऊर्जा (में प्रथम वर्ण  है)  = साधूर्जा

    (ऊ + उ = ऊ)
    वधू (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + उत्सव (में प्रथम वर्ण उ है) = वधूत्सव

    (ऊ + ऊ = ऊ )
    भू (में अंतिम वर्ण में ऊ की ध्वनि) + ऊष्मा (में प्रथम वर्ण ऊ है) = भूष्मा

    (2). गुण संधि

     जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो इनका मेल करने पर 'ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो इनका मेल करने पर 'ओ' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो इनका मेल करने पर 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
    जैसे:-
    (अ + इ = ए )
    नर  (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि) + इंद्र (में प्रथम वर्ण है)  = नरेंद्र

    (अ + ई = ए)
    परम (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि)  + ईश्वर (में प्रथम वर्ण ई है)  = परमेश्वर 

    (आ + इ = ए)
     उमा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि) +इंद्र (में प्रथम वर्णहै)  = उमेंद्र

    (आ + ई = ए )
    राका (में अंतिम वर्ण में की ध्वनि)  + ईश (में प्रथम वर्ण ई है)  = राकेश

    (अ + उ = ओ)
    पर (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि) + उपकार (में प्रथम वर्ण उ है) = परोपकार

    (अ + ऊ = ओ )
    नव (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि) + ऊढा (में प्रथम वर्ण ऊ है)  = नवोढ़

    (आ + उ = ओ )
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + उत्सव (में प्रथम वर्ण उ है)  = महोत्सव 

    (आ + ऊ = ओ)
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + धमा (में प्रथम वर्ण ऊ है) = महोष्मा

    ( अ + ऋ = अर् )
    देव (में अंतिम वर्ण में अ की ध्वनि)  + ऋषि (में प्रथम वर्ण ऋ है)  = देवर्षि

    (आ + ऋ = अर् )
    महा (में अंतिम वर्ण में आ की ध्वनि)  + ऋषि (में प्रथम वर्ण ऋ है)  = महर्षि

    (3). वृद्धि संधि

    जब स्वर 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' आए तो बड़ा 'ऐ' हो जाएगा। और यदि 'अ' और 'आ' के सामने 'ओ' या 'औ' आए तो 'औ' हो जाता है। या हम यह कह सकते है वर्ण मात्राओ की बड़ोत्री हो वह वृद्धि संधि कहलाती है ।
    जैसे:-
    (अ + ए = ऐ)
    + व = अधैव 

    (अ + ऐ = ऐ)
    +क्य = मतैक्य

    (आ + ऐ = ऐ)
    दा + व = सदैव

    (अ + ओ = औ )
    ष्ण + दन = उष्णोदन 

    (अ + औ = औ)
    + षधि = वनौषधि

    (आ + औ = औ) 
    हा + षध = महौषध

    (4). यण संधि

    यदि किसी शब्द के अंतिम वर्ण में (इ, ई), (उ, ऊ) और के बाद अलग-अलग स्वर आए तो 'इ' और 'ई' का 'य' हो जाता है। और 'उ' और 'ऊ' का 'व' हो जाता है। तथा इसके अतिरिक्त का 'र्' हो जाता है। 
    जैसे:-
    (इ + अ = य)
    दि + पि = तथापि

    (इ + आ = या )
    ति + दि = इत्यादि

    (इ + उ = यु )
    उपरी + पूर्वेत्तर = अनुमान

    (उ + अ = व)
    सु + च्छ = स्वच्छ

    (उ + आ = वा )
    सु + गत = स्वागत

    (उ + इ = वि )
    नु + ति = अन्विति

    (ऋ + अ = र)
    पितृ +नुमति = पितृनमति

    (ऋ + आ = रा)
    मातृ + ज्ञा = मात्राज्ञा

    (5). अयादि संधि

    जब किसी शब्द में स्वर का मेल स्वर से होता हो वह अयादि संधि कहलाती है तथा 'ए' का 'अय' और '' का 'आय' और 'ओ' का 'अव' , 'औ' का 'अव' हो जाता है।
    जैसे:-
    (ए + अ = आय)
    ने + न = नयन

    (ऐ + अ = आय)
    नै + क = नायक

    (ओ + अ = अव )
    भो +न = भवन

    (औ + अ = आव)
    भौ +न = भावना

    (2). व्यंजन संधि

    जब किसी व्यंजन का व्यंजन से या स्वर से मेल होता हो तो वह व्यंजन संधि कहलाती है। उदाहरण 
    जैसे:-
    दिक् + अम्बर = दिगम्बर
    अभी + सेक = अभिषेक
    दिक् + गज = दिग्गज
    जगत + ईश = जगदीश

    (3). विसर्ग संधि

    विसर्ग (:) के साथ जब किसी व्यंजन या स्वर का मेल होता हो वह विसर्ग संधि कहलाती है। उदाहरण
    जैसे:-
    अंतः + करण : अन्तकरण
    अंतः + गत : अंतर्गत
    अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान
    अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय

    I hope की यह लेख से आप सभी को यह पता चल गया होगा कि संधि किसी कहते है।



















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